Saturday, 3 September 2011

my self

There isn't time there isn't time
To do the things I want to do
With all the mountains tops to climb
And all the woods to wander through
And all the seas to sail upon
And everywhere there is to go
And all people everyone
Who lives upon the earth to know
There's only time there's only time
To know a few and do a few
And then sit down and make rhyme
About the rest I want to do
 Thursday
9:00 pm

 ਭੈਣ  ਕੋਲੋਂ ਵੀਰ ਵੇ ਬਣਾ ਲੈ ਰਖੜੀ
  ਸੋਹਣੇ ਜੇਹੇ ਗੁਟ ਤੇ ਸਜਾ ਲੈ ਰਖੜੀ
  ਏਹਦੇ ਵਿਚ ਮੇਰਿਯਨ ਮੁਰਾਦਾਂ ਵੀਰ ਵੇ
  ਸਹਦ ਨਾਲੋਂ ਮਿਠਿਯਾਂ ਨੇ ਯਾਦਾਂ ਵੀਰ ਵੇ
     ਏਹਦੇ ਵਿਚ ਚਾਹ ਤੇ ਮਲਾਰ ਭੈਣ  ਦਾ 
      ਏਹਦੇ ਵਿਚ ਗੁਨ੍ਦਿਯਾ ਪ੍ਯਾਰ ਭੈਣ ਦਾ
 ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਜਾਗ ਤੇ ਜਹਾਂਨ ਵੀਰਨਾ 
   ਮੇਵਾ ਕੋਈ ਨਾ ਮੀਠਾ ਤੇਰੇ ਨਾਲੋਂ ਵੀਰਨਾ
   ਰਖੜੀ ਨਾ ਸੂਤ ਦੀ ਏ ਕਚੀ ਤੰਦ ਵੇ
  ਭੈਣ ਪਰਾ ਦੇ ਪ੍ਯਾਰ ਦੀ ਸਦੀਵੀਂ ਗੰਦ ਵੇ
    ਰਖੜੀ ਦਾ ਗਾਨਾ ਅੰਗ ਸੰਗ ਵੀਰ ਵੇ
   ਦੁਸ਼ਮਣਾ ਦੇ ਖਟੇ ਕਰੀਂ ਦੰਡ ਵੀਰ ਵੇ
  ਭੈਣ ਕੋਲੋਂ ਵੀਰ ਵੇ ਬਣਾ ਲੈ ਰਖੜੀ
  ਸੋਹਣੇ ਜੇਹੇ ਗੁਟ ਤੇ ਸਜਾ ਲੈ ਰਖੜੀ
 Thursday
 4:00 pm
 ਹਾਥ ਜੋੜ ਕਰੀਏ ਅਰਦਾਸ 
ਹੇ ਪ੍ਰਭੁ ਤੇਰੇ ਚਰਨਾਂ ਪਾਸ 
ਏ ਸਾਡੀ ਅਰਦਾਸ ਪ੍ਰਭੁ ਜੀ 
  ਏ ਸਾਡੀ ਅਰਦਾਸ
    ਹੇ ਸਾਡੇ ਭਗਵਾਨ ਪ੍ਯਾਰੇ 
  ਸਬ ਦੁਨਿਯਾਂ ਦੇ ਪਾਲਾਨ੍ਹਹਾਰੇ  
   ਅਸੀਂ ਸਬ ਤੇਰੇ ਬਚਿਯਾਂ ਬਚੇ 
ਤਨ ਦੇ ਸਚੇ ਮਨ ਦੇ ਸਚੇ
 ਹਾਥ ਜੋੜ ਕੇ ਸੀਸ ਨਿਵਾਏ 
  ਤੇਰੇ ਦਰ ਤੋਂ ਸਬ ਸੁਖ ਪਯਿਏ
 ਸਾਨੋੰ ਦੋ ਵਿਦਯਾ ਦਾ ਦਾਨ 
 ਕਰੀਏ ਦੇਸ ਕਾਮ ਮਹਾਂਨ
ਪਰਉਪਕਾਰ ਖਲਕਤ ਦੀ ਸੇਵਾ 
  ਏ ਦੇਣਾ ਸਾਨੋੰ ਮੀਠਾ ਮੇਵਾ 
 ਮਾਤਾ ਪਿਤਾ ਦੀ ਆਗੀਯਾਕਾਰੀ 
  ਗੁਰੂ ਜਨਾ ਦੀ ਸੇਵਾ ਪਿਯਾਰੀ
  ਨਾ ਡਰੀਏ ਨਾ ਹੀ ਦਾਰਾਇਏ
ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਅਗੇ ਵਾਦਦੇ ਜਯਿਏ 
 ਬੁਰੇ ਰਸਤੇ ਤੇ ਪੇਰ ਨਾ ਤਰੀਏ 
  ਭਲੇ ਕਮਾਂ ਨੂੰ ਭਜ ਭਜ ਕਰੀਏ
  ਹਾਥ ਜੋੜ ਕਰੀਏ ਅਰਦਾਸ
  ਹੇ ਪ੍ਰਭੁ ਤੇਰੇ ਚਰਨਾਂ ਪਾਸ
   ਏ ਸਾਡੀ ਅਰਦਾਸ ਪ੍ਰਬੁ ਜੀ
ਏ ਸਾਡੀ ਅਰਦਾਸ






Friday, 2 September 2011

mera ghar

 Saturday
 8:00 pm
मेरा घर बाघा पुराना में है  
 इसमें छे कमरे और एक रिसोइघर है                      
  घर के आगे सुन्दर फुलवारी है
पढाई के लिए अलग कमरा है
  सारा घर बहुत साफ़ और सुंदर है
हमें अपना घर बहुत प्यारा लगता है 
हमें अपना परिवार बहुत अछा लगता है
My sister wrote the paragraph.

Saturday, 27 August 2011

sargams

 Sunday
2:00 pm
आरोह - सा रे ग, रे ग म, ग म प, म प ध, प ध नि, ध नि सा            
अवरोह-   सा नि ध, नि ध प, ध प म, प म ग, म ग रे, ग रे सा

आरोह- सा रे ग म, रे ग म प, ग म प ध, म प ध नि, प ध नि सा
 अवरोह- स नि ध प, नि ध प म, ध प म ग, प म ग रे,  म ग रे  सा



Thursday, 25 August 2011

Thursday 
 9:00 pm
  सुख आते हैं , दुःख आते हैं
   इन आते  जाते सुख दुःख में हम मस्त रहते हैं
   हम मस्त रहते हैं 
   गाते गाते फकीरा कह जाता 
   कोइ पैदा हुआ तो कोई मर जाता 
   इस जनम मरण के खेल में 
   हम मस्त रहते हैं
                                              कभी मान मिला जी भर भर के
                                              कभी  अपमान हुआ जी भर भर के
                                               इस मान अपमान के खेल मे
                                                हम मस्त रहते हैं
 गुरु ज्ञान पिटारा खोला है
 ये जग सारा इक मेला है 
 छन छन बदलते सुख दुःख में
  मस्त रहते हैं
   हम मस्त रहते हैं    
                                        यही तो जीना भई जीना है                                       विष छोड़ दिया अमृत पीना है
                                        हम अमृत पीते रहते हैं और मस्त रहते हैं
                                         हम मस्त रहते हैं
 सुख आते हैं, दुःख आते हैं  
  इन आते जाते सुख दुःख में हम 
   मस्त रहते हैं
   हम मस्त रहते हैं                     

My Friend Simran...

 Thursday
 8:00 pm

I study in 5th class. My best friend in school is Simran. She is a very intelligent and sincere girl. She never quarrels with anyone. She loves all other class fellows. She always tries to guide each student regarding any confusion in studies properly. She never discourages any weak student and also does not make joke of him/her. We often sit together calmly for studies and also play together in the company of other well-natured class fellows. She regards her teachers, senior students and parents of every classmate with respect. Her company for me is a blessing of God. May she live long...!