Thursday
9:00 pm
सुख आते हैं , दुःख आते हैं
इन आते जाते सुख दुःख में हम मस्त रहते हैं
हम मस्त रहते हैं
गाते गाते फकीरा कह जाता
कोइ पैदा हुआ तो कोई मर जाता
इस जनम मरण के खेल में
हम मस्त रहते हैं
कभी मान मिला जी भर भर के
कभी अपमान हुआ जी भर भर के
इस मान अपमान के खेल मे
हम मस्त रहते हैं
गुरु ज्ञान पिटारा खोला है
ये जग सारा इक मेला है
छन छन बदलते सुख दुःख में
मस्त रहते हैं
हम मस्त रहते हैं
यही तो जीना भई जीना है विष छोड़ दिया अमृत पीना है
हम अमृत पीते रहते हैं और मस्त रहते हैं
हम मस्त रहते हैं
सुख आते हैं, दुःख आते हैं
इन आते जाते सुख दुःख में हम
मस्त रहते हैं
हम मस्त रहते हैं
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ReplyDeletegood keep it up
ReplyDeletekeep writing...